• राॅयल थाई जम्बो एप्पल बेर

बेर-सर्वप्राप्य फल है। इसे किसान की सेव कहते है। इसकी खेती राजस्थान में बहुत आसानी से की जा सकती है, इसका फल ताजा खाने, सुखाकर छुआरों के रूप में षर्बत, जैम, मुरब्बा, चटनी, केक, टाॅफी, कैण्डी व अचार बनाकर किया जाता है। यह एक मात्र पेड़ लाख के कीड़ों को पालने में काम आता है।

उन्नत किस्में- गोला, सेव, उमरान, थाई एप्पल बेर, रेड थाई एप्पल, वाटर ग्रीन - रेड एप्पल, ग्रीनथाई एप्पल बेर पूर्णत: जैविक विधि पर आधारित पौधा है। हाई लेब टेक्नीक जैनेटिक बायो प्लान्ट सिस्टम द्वारा तैयार पौधा है।

जीवाणु मुक्त व रोगाणु मुक्त किस्म है। अच्छी विकास दर है मजबूत जड़तन्त्र है। हमारी जलवायु परिरिस्थतियों में उपयुक्त है। सुखा प्रतिरोधी पौधा है। विटामिन सी, कैल्सियम, खनिज लवण और फाॅस्फोरस जैसे तत्वों से भरपूर फल होने के कारण स्वाथ्य के लिय बेहद लाभदायक है।

विटामिन- थाई एप्पल बेर जैसा कि नाम से विदित है। सेव (एप्पल) में जितने न्यूट्री शंस: प्रोटीन, विटामिन, एंटिआॅक्सीडेट, कैल्सियम होते है। लगभग उतने ही गुणकारी तत्व थाई एप्पल बेर में मौजूद होते है। पौधे की रौपाई वर्षातु मे करने से पौधा षीघ्रता से वृद्धि करता है। 3-4 महिने में ही फल लगने शुरू हो जाते है। परन्तु पौधा छोटा होने के कारण फसल नहीं लेनी चाहिये।

फल लगने का समय- एक पौधे पर पहले साल 20 से 30 किलो ग्राम फल का उज्पादन हो जाता है। दुसरे साल 100 किलो से अधिक उत्पादन षुरु हो जाता है। जो साल दर साल बढ़ता रहता है। थाई एप्पल बेर का फल 100 ग्राम से 150 ग्राम तक वजनी होता है। खाने में सेव जैसा मीठा स्वाद होता है। इस पौधे के कांटे नहीं के बराबर होते है।

विषेषताएं- बहुत छोटे कांटे या बहुत कम कांटे जो पौधा बड़ा होने पर स्वतः ही झड़ जाते है। कांटे नहीं होने एवं फल बड़ा होने के कारण फलों की तुड़ाई पौधे, की कटाई, खाद पानी एवं बगीचे का रख रखाव करना आसान रहता है। बाजार में इस के फलांे की कीमत सामान्य बेर से ज्यादा मिलती है। फल उत्पादन एवं फल साईज पौधे की देख रेख पर निर्भर करता है।

तापमान- 5 से 50 डिग्री तक तापमान सहन करने की क्षमता खारे पानी में भी हो जाता है। सभी प्रकार की मिट्टीयों मंे भी हो सकता है। मजबूत जड़तत्र वाला पौधा है। यदि दीमक का प्रकोप हो तो दीमक रोधी दवाई का प्रयोग करें। फल लेने के बाद ही हर साल पौधे की 8 से 12 ईंच ऊचाई से कट्टाई करनी होती है। पत्तियां उपजाऊ होने के कारण भूमि की उर्वकता षक्ति में बढ़ोतरी करती है। पत्तियां पषुओं के लिए बहुत अच्छा पोश्टिक आहार भी है।

सिंचाई- इस से भी अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है। पोधे की रोपाई के समय षुरु आत में 2 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए। इसकें तीन महिने बाद 5 दिन में एक बार 7 लीटर पीनी देना चाहिए। पौधे की रोपाई 12-12 फीट की दूरी से की जा सकती है।

  • एक सरकारी बीघा में 120 पौधे उगाये जा सकते है।
  • बेर के पौधे के बीच, मिर्च, बैंगन, मूंग, मौठ, तरबूज, खरबूजा की खेती की जा सकती है।
  • थाई एप्पल बेर बहुउपयोगी पौधा है। इसकी पत्तियां, लकड़ी जड़े व फल सभी उपयोगी है।
  • इसकी पत्तियां व उपयोग प्रोटीन युक्त चारे के तौर पर होता है । लकड़ियां ईधन का काम करती है।
  • जड़े भूमि को और अधिक उपजाऊ बनाती है ।
  • फल व्यवसायिक उत्पादन के तौर पर बहुत अधिक आमदनी देती है।
  • 2 फीट चैड़ा 2 फीट गहरा गढ़ा खोदकर उसमें सड़ी हुई कम्पोस्ट गोबर खाद डाल कर भरने के बाद पौधा रोपड़ किया जा सकता है।